मुरैना में घूमने वाली जगह-(Best Places to Visit in Muraina):
- चंबल वन्य जीव अभ्यारण्य
- शनिचरा धाम
- कुंतलपुर
- बटेश्वर के मंदिर
- चौसठ योगिनी मंदिर
- सबलगढ़ का किला
- सिहोनिया
- ककनमठ मंदिर
- नूराबाद पुल
1. चंबल वन्य जीव अभ्यारण्य:
दोस्तो ये अभ्यारण्य जीव जंतु, वनस्पति वा संपदा आदियों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था यहां पर आपको विभिन्न प्रकार की मछलियों की प्रजातियां वा इसके अलावा डॉल्फिन जैसी प्रजातियां चंबल वन्य जीव अभ्यारण्य देखने को मिलती है। नवंबर से मार्च के दौरान यहां पर आपको पक्षियों की हजारों प्रजातियां देखने को मिलती है।
दोस्तो यहां पर नदी वा बोटिंग का आनंद भी आसानी से लिया जा सकता है और आपको बता दें कि इस वन्य जीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 270 वर्ग किमी का है। इसे राजस्थान के राज्य सरकार ने वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किया था। दोस्तो ये जगह घड़ियाल के लिए प्रमुख रूप से जानी जाती है।
2. शनिचरा धाम:
दोस्तो ये जगह मध्य प्रदेश के ग्वालियर से 18 किमी की दूरी पर यति गांव में स्थित है यहां पर शनि भगवान जी की मूर्ति भगवान श्री हनुमान के द्वारा श्री लंका से लाई गई थी। दोस्तो ऐसा माना जाता है कि यहां सच्चे मन से दर्शन वा प्रार्थना करने से आपकी मनोकामना जल्द ही पूर्ण होती है।
लोगो का मानना है की उल्का पिंड के टूट कर गिरने से यहां पर एक प्रतिमा का निर्माण हुआ था तथा आज भी यहां उस उल्का पिंड से बना हुआ गहरा गड्ढा है। इस मंदिर में एक अनोखी परम्परा है जिसमे भक्त भगवान श्री शनि जी से गले मिलते है और अपने दुख को बताते है।
दोस्तो और अपने दुख को हरने के लिए भगवान श्री शनि जो से बिनती करते है और यह करने से भक्त के दुख वा उनके मन की इच्छा जल्द ही पूर्ण हो जाती है।
3. कुंतलपुर:
चंबल घाटी का सबसे प्राचीन गांव कुंतलपुर के नाम से जाना जाता है ये गांव महाभारत के काल का है यहां पर प्राचीन अंबा और हरि सिद्ध देवी का प्राचीन मंदिर है और दोनो मंदिर देखने में ऐसा प्रतीत होता है की नदी के आकार के बने हुए है।
दोस्तो यहां आसान नदी पर एक बांध स्थित है जिसे कोतवाल बांध के नाम से जाना जाता है कोतवाल बांध प्रवासी पक्षियों के रहने का स्थान है और आपको बता दें कि यहां हर साल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसे देखने के लिए आप कुंतलपुर गांव में आ सकते है।
4. बटेश्वर के मंदिर:
ये मंदिर मध्य प्रदेश की मुरैना जिले में गुज्जर राजाओं द्वारा निर्मित 200 बलुआ पत्थर से बने हिंदू मंदिर है ये मंदिर समूह के उत्तर भारतीय वास्तुकला की शुरुवाती गुज्जर सुंदर शैली में बने हुए हैं और ये मंदिर ग्वालियर से लगभग 34 किमी वा मुरैना जिले से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित है।
दोस्तो इन मंदिरों में सबसे ज्यादा छोटे मंदिर देखने को मिलते है और ये सभी मंदिर लगभग 25 एकड़ में बने हुए है। दोस्तो ये जगह विष्णु या मां शक्ति को समर्पित है। बटेश्वर में 7वी सताब्दी से 10वी सताब्दी के बीच में बनाए गए इन मंदिरों की श्रृंखला 200 में है।
यदि आप ऐसे ही दर्शनीय स्थलों के बारे में खोजते रहते है तो आपके लिए यह जगह काफी अच्छी हो सकती है इस लिए आप इस जगह पर घूमने के लिए जरूर जाएं।
5. चौसठ योगिनी मंदिर:
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में मितावली नामक जगह पर एक प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे चौसठ योगिनी मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये भारत के उन सभी चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हुए है। यह मंदिर एक वृत्तीय आकार पर निर्मित है।
दोस्तो इस मंदिर में आपको 64 कक्ष देखने को मिल जाते है और मंदिर के बीच में एक खुला हुआ मंडप है। दोस्तो यह मंदिर 1300 ई का बना हुआ है। भारतीय पौठित सर्वेक्षण की नजर में इस मंदिर को प्राचीन वा ऐतिहासिक स्मारक माना गया हैं।
यदि आप ऐतिहासिक जगह पर घूमने के लिए ज्यादा रुचि रखते हैं तो आपको इस जगह पर घूमने के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। दोस्तो आप यहां पर अपने आप को बोरिंग महसूस नहीं करेंगे।
6. सबलगढ़ का किला:
मुरैना जिले के सबलगढ़ नगर में स्थित यह एक प्राचीन सबल- गढ़ किला है ये किला मुरैना से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित है मध्य काल में बना हुआ यह किला पहाड़ी के शिखर पर स्थित है। दोस्तो इस किले की न्यू सबला गुज्जर ने डाली थी जबकि करौली के महाराज 18वी सताब्दी में इसका निर्माण पूरा करवाया था।
लेकिन कुछ समय बाद सिकंदर लोग ने इस किले पर अपना नियंत्रण कर लिया था लेकिन कुछ समय बाद करौली के राजा ने मराठों की सहायता से फिर से इस किले पर अपना अधिकार कर लिया था। दोस्तो आप इस ऐतिहासिक जगह पर घूमने के लिए जरूर जाएं। इस किले के पीछे सिंध्याकाल का बना हुआ एक बांध है।
7. सिहोनिया:
मुरैना के पास स्थति सिहोनिया या सुहोनिया कुशवाहो की राजधानी थी इस साम्राज्य की स्थापना 11वी सताब्दी में 1015 से 1035 के मध्य में हुई थी। कछुआ राजा ने एक शिव मंदिर बनवाया था जिसे ककनमठ मंदिर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर का निर्माण राजा कीर्ती राज ने अपनी रानी की इच्छा पूरी करने के लिए बनवाया था।
खुजराहो मंदिर की शैली में बना हुआ यह मंदिर 115 फिर ऊंचा है सिहोनिया जैन धर्म की अनुयायी के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। दोस्तो आप 11वी सताब्दी के सभी मंदिर देख सकते है जिसमे आपको इस मंदिर का प्रमाण मिलता है। दोस्तो आप इस ऐतिहासिक जगह पर घूमने के लिए जरूर जाएं।
8. ककनमठ मंदिर:
ककनमठ मंदिर मुरैना जिले के सिहोनिया नामक गांव में स्थित है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा कीर्ती ने रानी काकनवती की इच्छा पूरी करने के लिए बनवाया था। खजुराहो मंदिर की शैली में बना यह मंदिर लगभग 100 फिट ऊंचा मंदिर है।
इस मंदिर की दीवारों पर बेहतरीन नाकाशी की गई है इस मंदिर की मुख्य विशेषता यह है कि इसे बिना गारे के सिर्फ पत्थरो को एक के ऊपर एक रखकर बनाया गया हैं।
9. नूराबाद पुल:
नूराबाद पुल मुरैना शहर का सबसे प्राचीन मंदिर वा ऐतिहासिक धरोवर है यह पुल नूराबाद नगर में मुरैना ग्वालियर हाइवे रोड के पास में ही स्थित है ऐसा माना जाता है कि इसे मुगल बादशाह जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां की याद में बनवाया था।
यह पुल बहुत हो खूबसूरत पुल है और इस पुल के दोनो तरफ ऊंचे - ऊंचे टावर जैसी सरचना बनी हुई है और पुल के दोनो तरफ अष्टकोणीय गुंबददार छतरियां बनी हुई है। जो इस पुल को और भी खूबसूरती प्रदान करती है।
मुरैना में कैसे पहुंचे -(How to Reach Muraina in Hindi):
मुरैना को पहुंचने के लिए आपके पास दो ऑप्शन है जिनके माध्यम से आप बड़ी ही आसानी से मुरैना को पहुंच सकते हैं। तो चलिए दोस्तो आपको बताते है कि वो दो तरीके कौन - कौन से हैं...।
1. ट्रेन के माध्यम से मुरैना कैसे पहुंचे :
ट्रेन के माध्यम से नई दिल्ली से मुरैना तक का सफर तय कर सकते हैं जिनके बीच की दूरी लगभग 295 किमी की है। जिसे आप लगभग 3 घंटे 30 मिनट के अंदर ट्रेन के माध्यम से तय कर सकते हैं। दोस्तो ट्रेन की टिकट की बात करे तो इस टिकट की कीमत लगभग 180 रुपए से लेकर 186-190 रुपए तक की हो सकती हैं।
2. बस के माध्यम से मुरैना कैसे पहुंचे :
दोस्तो यदि आप नई दिल्ली से बस के माध्यम से मुरैना पहुंचना चाहते हैं तो बता दें कि आपको सबसे पहले नई दिल्ली से लेकर आगरा तक का सफर बस के माध्यम से तय करना होगा जिनके बीच की दूरी लगभग 378.5 किमी की है जिसे आप लगभग 3 से 4 घंटे में तय कर सकते हैं।
बस के माध्यम से आगरा पहुंचने के बाद आपको यहां से ट्रेन के माध्यम से मुरैना पहुंचना होगा। जिनके बीच की दूरी लग भग 80 से 82 किमी की है जिसे आप ट्रेन के माध्यम से 1 घंटे में तय कर सकते हैं। दोस्तो आगरा से मुरैना तक की ट्रेन के टिकट की कीमत लगभग 100 रुपए होगी।
3. फ्लाइट के माध्यम से मुरैना कैसे पहुंचे :
दोस्तो यदि आप मुरैना को फ्लाइट से जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दे कि मुरैना का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा ग्वालियर में है। दोस्तो आप ग्वालियर में पहुंचने के बाद आपको यहां बस, टैक्सी की सुविधा मिल जाती है जिसके माध्यम से आप मुरैना को पहुंच सकते हैं।
दोस्तो ग्वालियर से मुरैना के बीच की दूरी लगभग 48 किमी की है जिसे आप बस या टैक्सी के माध्यम से 30 से 40 मिनट में तय कर सकते हैं।
मुरैना में मशहूर क्या है? :
मुरैना शहर में इकत्तरसो महादेव मंदिर वा मितावली गांव सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि इकत्तरसो महादेव मंदिर के डिजाइन ले आधार पर ही हमारे संसद भवन को बनाया गया हैं। इस मंदिर का निर्माण 1323 ई. में महाराजा देवपाल द्वारा कराया गया था जो की काफी पुराना वा प्रसिद्ध मंदिर है।
यह मंदिर मुरैना शहर का काफी प्रसिद्ध मंदिर है तो आप इस जगह पर घूमने के लिए जरूर आएं। इसके अलावा मुरैना में चौसठ योगिनी मंदिर भी काफी ज्यादा मशहूर है जो की एक मितावली नामक गांव में पहाड़ी पर स्थित काफी पुराना मंदिर है।
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मुरैना के प्रसिद्ध मंदिरों के नाम:
- चौसठ योगिनी मंदिर
- राम जानकी मंदिर
- हनुमान मंदिर
- शिव गौरी मंदिर
- माता शेरावाली मंदिर
- राधा- मोहन मंदिर
निष्कर्ष:
आज के इस लेख में मुरैना में घूमने की जगह (Muraina me Ghumne ki Jagah) के बारे में विस्तार रूप से जानकारी दी है यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे आप अपने दोस्तो और सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले FAQ :
Quest.1 मुरैना और ग्वालियर के बीच की दूरी कितनी है?
Ans.मुरैना और ग्वालियर के बीच की दूरी लगभग 39 से 40 किमी की है जिसे तय करने में लगभग 40 से 50 मिनट का समय लगता है।
Quest.2 मुरैना कौन सी नदी के किनारे बसा है?
Ans.आपको बता दें कि मुरैना जिला चंबल नदी के किनारे बसा हुआ है जो की उत्तरी सीमाओं का निर्माण करती है और यह नदी राजस्थान और उत्तर प्रदेश को विभाजित करती है।